
जैसलमेर
थार के तपते रेगिस्तान में जहां अक्सर पानी की एक बूंद भी नसीब नहीं होती, वहाँ आज हजारों आँखों से बहते आँसुओं ने रेत को भी नम कर दिया। पक्षियों की चहचहाहट थम गई, जानवरों की बेचैनी बढ़ गई और हवाओं में भी सूनापन भर गया।क्योंकि आज वह चला गया, जिसने अपनी ज़िंदगी जंगल और जानवरों के नाम कर दी थी।
रेगिस्तान के ‘गोडावण मेन’ के नाम से पहचाने जाने वाले राधेश्याम पेमाणी विश्नोई की अंतिम यात्रा में शनिवार को हजारों की संख्या में लोग उमड़े। लाठी क्षेत्र के धोलिया गांव से निकली उनकी अंतिम यात्रा में जनसैलाब उमड़ा, जैसे पूरा रेगिस्तान अपने सपूत को अंतिम विदाई देने आया हो। बच्चे, बुजुर्ग, जीव प्रेमी, वनकर्मी, गांव-देहात के लोग, नेता और अफसर आज हर कोई आंखों में नमी और मन में पीड़ा लिए मौजूद था।
राधेश्याम ने जैसलमेर में विश्नोई परंपरा को आत्मसात करते हुए जीवन को पेड़ों, पक्षियों और पशुओं की रक्षा के लिए समर्पित कर दिया। इस बार भी वह एक हिरण के शिकार की सूचना पर साथी कंवरराजसिंह भाटी भादरिया, सेवानिवृत्त सेनिक एवं वन्यजीव प्रेमी श्याम विश्नोई और लाठी वनविभाग के वनरक्षक सुरेश चौधरी के साथ जंगल में निकले थे।लेकिन लौटकर नहीं आए।
बीती रात धोलिया के पास बोलेरो कैंपर की ट्रक से भिड़ंत में चारों की मौके पर ही मौत हो गई। इस दुर्घटना ने न केवल जैसलमेर, बल्कि पूरे राजस्थान के वन्य जीव प्रेमियों को झकझोर दिया। सोशल मीडिया पर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली , पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा , केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखवात , पोकरण विधायक महंत प्रतापपुरी, राजस्थान सरकार के पूर्व कैबिनेट मंत्री शालेह मोहम्मद, शिव विधायक रविन्द्र सिंह भाटी, आरएलपी सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल,जैसलमेर पूर्व महारावलचैतन्यराज सिंह, जैसलमेर विधायक छोटूसिंह भाटी समेत सैंकड़ों जनप्रतिनिधियों ने गहरा दुःख जताया। तो वहीं अंतिम संस्कार को राजकीय सम्मान के साथ पूरा किया गया जिसमें राज्य सरकार के प्रतिनिधि के रूप में फलोदी विधायक पब्बा राम विश्नोई उपस्थित रहे और पुष्पचक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि दी ।
अंतिम यात्रा में वन विभाग के अधिकारियों ने चारों वन्य जीव रक्षकों को सह सम्मान श्रद्धांजलि दी। वन्य प्राणी संरक्षण के क्षेत्र में इनकी भूमिका को नमन करते हुए विभाग के अधिकारियों ने पुष्प अर्पित किए और परिवारजनों को ढांढस बंधाया। वहीं मृतकों में शामिल श्याम विश्नोई, जो भारतीय सेना से सेवानिवृत्त फौजी थे, को सेना ने तिरंगे में लपेटकर सैन्य सम्मान के साथ विदा किया। जब तिरंगे में लिपटा उनका पार्थिव शरीर अंतिम यात्रा के लिए निकला, तो हर आंख नम हो उठी और हर सिर श्रद्धा से झुक गया।
राधेश्याम के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाले कंवरराजसिंह भाटी को उनके गांव भादरिया में अंतिम विदाई दी गई वे पिछले लम्बे समय से भादरिया गौशाला में सेवाएं दे रहे हैं।
गौरतलब है कि राधेश्याम पेमाणी रेगिस्तान में जल , जंगल,जमीन की लड़ाई तो कर ही रहे थे साथ ही वे डेजर्ट फोटोग्राफी भी करते थे उनकी फोटो में रेत के रंग, गोडावण की उड़ान, चीतलों की छलांग, और मोरों की मुद्राएं जीवंत हो उठती थीं।
इन अवार्डों से सम्मानित हो चुके है विश्नोई
राधेश्याम विश्नोई पिछले लम्बे समय से वन्यजीवो कि सेवा के लिए तत्पर रहते थे। जिसके कारण उन्हें दर्जनों अवार्डों से सम्मानित किया गया जा चुका है । विश्नोई को 15 अगस्त 2019 को जैसलमेर जिला कलेक्टर द्वारा वन्यजीव व पर्यावरण संरक्षण हेतु जिला स्तर पर सम्मानित गया,4 दिसम्बर 2021 को अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण संस्था सेंचुरी नेचर फाउण्डेशन द्वारा, कोरोना काल में अंतर्राष्ट्रीय ऑनलाइन पुरस्कार समारोह में वर्ष 2021 का सेंचुरी यंग नेचुरलिस्ट अवार्ड से सम्मानित किया गया, वर्ष 2022 में सेंचुरी नेचर फाउंडेशन द्वारा मड ऑन दी बूट्स कंजरवेशन फेलोशिप अवार्ड से सम्मानित किया गया,5 जून 2023 को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर जोधपुर में पर्यावरण एवं वन्यजीव क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने पर आध्यात्मिक क्षेत्र पर्यावरण संस्थान समिति जोधपुर की ओर से संस्था के संरक्षक तो वहीं 7 सितंबर 2022 को खेजडली मेले में सम्मानित किया गया । 20 सितंबर 2018 को खेजडली मेले में सम्मानित किया गया, 5 जून 2019 को श्री जंभेश्वर पर्यावरण संरक्षण शोध पीठ जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर में गुरु जंभेश्वर वन्य जीव प्रेमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया, वर्ष 2019 में ERDS फाउंडेशन द्वारा सम्मानित किया गया,10 अक्टूबर 2018 को मुक्तिधाम मुकाम मेले में सम्मानित किया गया,इसी प्रकार 2018 में पोकरण तहसील स्तर पर भी स्वतंत्रता दिवस पर सम्मानित किया गया।
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