
पोकरण।
कृषि विज्ञान केन्द्र, पोकरण की ओर से ग्राम बडली नाथूसर में “गर्मी से पशुओं का बचाव एवं बेहतर आहार प्रबंधन” विषयक एक दिवसीय गैर आवासीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में ग्रामीण पशुपालकों ने भाग लिया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए केवीके अध्यक्ष डॉ. दशरथ प्रसाद ने कहा कि गर्मी का मौसम पशुपालकों के लिए एक चुनौती बनकर आता है। इस मौसम में तापमान में अत्यधिक बढ़ोतरी और गर्म हवाओं के कारण पशुओं की दूध देने की क्षमता में गिरावट आती है। उन्होंने बताया कि उचित सावधानी और समय पर उठाए गए कदमों से पशुओं को गर्मी से बचाया जा सकता है।
पशुपालन वैज्ञानिक डॉ. राम निवास ने पशुओं के आवास प्रबंधन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि पशुशाला को ऐसा बनाया जाए कि उसमें हवा का उचित संचार हो तथा मुख्य द्वार पर खस या जूट की टाटियों का परदा लगाया जाए। उन्होंने कहा कि पशु आहार में जौ की मात्रा बढ़ाने से पशु के शरीर का तापमान संतुलित रहता है। दुधारू पशुओं को 18 प्रतिशत प्रोटीन युक्त दाना देना चाहिए एवं कैल्शियम की पूर्ति हेतु चूना पत्थर (लाईम स्टोन) आवश्यक मात्रा में आहार में सम्मिलित करना चाहिए।
प्रसार वैज्ञानिक सुनील कुमार ने बताया कि गर्मी में पशुओं को हमेशा साफ-सुथरा व ताजा पानी छायादार स्थान में पिलाना चाहिए। दूध निकालने के बाद यदि संभव हो तो उन्हें ठंडा पानी देना चाहिए, जिससे वे ताजगी महसूस करें। साथ ही उन्होंने पशुपालकों को गलाघोंटू, खुरपका-मुंहपका और लंगड़ी बुखार जैसी बीमारियों से पशुओं को बचाने के लिए टीकाकरण करवाने पर जोर दिया।
कार्यक्रम में ग्राम के मिन्जी राम, मोहन राम, भंवरू राम, कल्ला राम, पोखर राम, भींजाराम सहित अन्य पशुपालक उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का उद्देश्य ग्रामीण पशुपालकों को गर्मियों में पशुओं की देखभाल, आहार प्रबंधन और बीमारियों से बचाव की जानकारी देना था, जिससे उनका दुग्ध उत्पादन बना रहे और उनकी आजीविका पर कोई प्रभाव न पड़े।
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