
पोकरण | 30 मई — पोकरण के अधिकांश मोहल्लों में मंगलवार रात बिजली संकट चरम पर रहा। कहीं बिजली पूरी तरह बंद रही, तो कहीं वोल्टेज मात्र 100 ही रह गया। मालियों का वास सहित कई इलाकों में रातभर अंधेरा छाया रहा। पंखे, कूलर और जरूरी उपकरण बंद, जिससे आमजन—विशेषकर बच्चों, बुजुर्गों और बीमार लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
अधिकारी नदारद, कोई जवाबदेही नहीं
शिकायतों के बावजूद बिजली विभाग के अधिकारी फोन नहीं उठा रहे हैं। जनता सवाल कर रही है कि जब संकट आता है, तब प्रशासन और विभाग कहां छुप जाते हैं?
FRT का ढांचा कमजोर, 15 जगहों पर 4 कर्मचारी
सूत्रों की माने तो पोकरण शहर में FRT (फास्ट रिस्पॉन्स टीम) के नाम पर लोगों को झांसा दिया जा रहा है। 15 कर्मचारियों है लेकिन महज 4 कर्मचारी बिजली सुधार के कार्यों में लगे हैं। इतने कम स्टाफ में सुधार संभव ही नहीं दिखता।
एक साल से अधूरा ट्रांसफार्मर — डर किसका?
रामनाथ जी के मंदिर के पास एक ट्रांसफार्मर लगाने की स्वीकृति एक साल पहले मिल चुकी थी, लेकिन अब तक स्थापना नहीं हुई। यह सवाल बना हुआ है कि किसके दबाव या डर से ट्रांसफार्मर अब तक नहीं लगाया गया?
जनप्रतिनिधियों के दावे और जमीनी हकीकत में फर्क
बिजली संकट के बीच जनप्रतिनिधियों द्वारा मंचों पर वोल्टेज और लाइट सुधार के बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हैं।
पोकरण विधायक महंत प्रताप पूरी ने भी हाल ही में एक प्रेस वार्ता में कहा था कि:
हमने पोकरण में वोल्टेज की समस्या को गंभीरता से लिया है। 42 नए ट्रांसफार्मर, शक्ति ग्रस्त पोलों की जगह नए पोल, नई तारों की लाइनिंग और संकड़ी गलियों में अंडरग्राउंड वायरिंग की व्यवस्था की गई है।
लेकिन जनता सवाल कर रही है कि इतने दावों के बावजूद मालियों का वास और कई मोहल्ले अंधेरे में क्यों हैं? आखिर ज़मीनी सच्चाई इतनी अलग क्यों है?
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