
पोकरण। जोधपुर रोड स्थित पोकरण केन्द्रीय बस स्टैंड आज बदहाली का ऐसा आईना बन चुका है, जिसमें नगर पालिका प्रशासन की लापरवाही साफ झलकती है। वर्षों पहले स्थापित यह बस स्टैंड आज खुद व्यवस्था की मांग कर रहा है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी और जनप्रतिनिधि आंखें मूंदे बैठे हैं। सैकड़ों यात्रियों को हर दिन भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन उनकी पीड़ा सुनने वाला कोई नहीं।
बस स्टैंड या मुसीबतों का अड्डा?
जहां से राज्य परिवहन की रोडवेज और निजी बसों का संचालन होता है, वहां न तो ढंग की सड़क है, न बैठने की सुविधा, न शौचालय, और न ही साफ-सफाई का कोई इंतजाम। बस स्टैंड के चारों ओर फैली गंदगी, टूटी-फूटी सड़कें और जर्जर हालत में पड़ा मुख्य प्रवेश द्वार प्रशासन की उदासीनता की गवाही देते हैं।
2012-13 में डामर सड़क का काम अधूरा छोड़ दिया गया, जो अब पूरी तरह जमींदोज हो चुकी है। बिछाई गई कंकरीट की जगह अब मिट्टी और गड्ढों ने ले ली है। बरसात में यहां पानी भर जाता है, जिससे यात्रियों और वाहन चालकों का निकलना भी मुश्किल हो जाता है।
जर्जर द्वार बना हादसे का इंतजार
बस स्टैंड के दक्षिणी छोर पर बना मुख्य द्वार जो कभी शहर की पहचान हुआ करता था, अब गिरने की कगार पर है। तेज हवा में यह द्वार हिलने लगता है, जिससे कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। बावजूद इसके, नगर पालिका ने एक बार भी इसकी मरम्मत नहीं करवाई। क्या प्रशासन किसी बड़े हादसे के इंतजार में है?
बैठने की व्यवस्था धरी की धरी, आवारा पशुओं का कब्जा
बस स्टैंड पर यात्रियों के बैठने के लिए बनाए गए शेड्स आज आवारा पशुओं का ठिकाना बन चुके हैं। बैठने वाली जगहों पर गोबर और गंदगी पसरी हुई है। महिलाएं, बुजुर्ग और बच्चे तक खड़े रहने को मजबूर हैं। यात्रियों की गरिमा और सुविधा को पूरी तरह ताक पर रख दिया गया है।
जनप्रतिनिधियों की चुप्पी भी सवालों के घेरे में
नगरपालिका पोकरण और जनप्रतिनिधियों की चुप्पी अब जनता को खलने लगी है। क्या विकास की बातें सिर्फ भाषणों तक सीमित हैं? वर्षों से इस बस स्टैंड के नाम पर लाखों रुपये के बजट का क्या हुआ? क्यों नहीं हो रही है जमीनी कार्रवाई?
जनता की आवाज कौन सुनेगा?
पोकरण जैसे सामरिक और पर्यटन महत्व के कस्बे का यह हाल अपने आप में शर्मनाक है। यदि जल्द ही यहां ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो यात्रियों की परेशानी के साथ कोई बड़ा हादसा भी हो सकता है। जरूरत है कि प्रशासन तुरंत इस दिशा में ध्यान दे, बस स्टैंड का नवीनीकरण कर सुविधाओं को बहाल किया जाए।
जनता पूछ रही है –
“क्या बस स्टैंड की हालत सुधरेगी या यूं ही जिम्मेदार सोते रहेंगे?”
“क्या हमारी यात्रा सुविधा की जगह मुसीबत बनकर रह जाएगी?”
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