
बीकानेर। 93 वर्षीय गोल्डन दादी यानी पानी देवी गोदारा ने अपनी उम्र को मात्र एक संख्या साबित कर दिखाया है। उन्होंने हाल ही में बेंगलुरु में आयोजित 45वीं नेशनल मास्टर्स चैंपियनशिप में डिस्क थ्रो, भाला फेंक और दौड़ में शानदार प्रदर्शन करते हुए गोल्ड मेडल जीते। उनके इस उपलब्धि के बाद बीकानेर में उनका भव्य स्वागत किया गया।
खेती से एथलेटिक्स तक का सफर
बीकानेर जिले के अन्नखिसर गांव की रहने वाली पानी देवी का पूरा जीवन खेती-बाड़ी में बीता। एक साधारण किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाली यह वेटरन एथलीट अब राजस्थान की सबसे उम्रदराज खिलाड़ी बन चुकी हैं। उन्होंने बताया कि मैं अपने प्रदेश की अकेली महिला थी जिसने इस उम्र में गोल्ड मेडल जीता।
पोते की ट्रेनिंग से बनीं चैंपियन
गोल्डन दादी ने अपने पोते जय किशन को अपनी सफलता का श्रेय दिया। जय किशन फिजिकल ट्रेनर हैं और उन्होंने अपनी दादी को इस मुकाम तक पहुंचने में पूरा सहयोग दिया।
राजस्थानी परिधान में जीता गोल्ड
बेंगलुरु में हुए इस आयोजन में सभी प्रतिभागियों को एक निश्चित ड्रेस कोड दिया गया था, लेकिन पानी देवी ने अपनी पारंपरिक राजस्थानी वेशभूषा में ही प्रतियोगिता में भाग लेने की जिद की और उसमें ही दौड़ लगाई, डिस्क थ्रो और भाला फेंक में हिस्सा लिया। उन्होंने गर्व से बताया कि “मैंने अपनी संस्कृति को अपनाते हुए गोल्ड मेडल जीता, यह मेरे लिए सबसे बड़ी उपलब्धि है।”
अब लक्ष्य इंटरनेशनल टूर्नामेंट में गोल्ड
गोल्डन दादी ने कहा कि अब उनका सपना इंडोनेशिया में होने वाली अंतरराष्ट्रीय चैंपियनशिप में भाग लेकर भारत के लिए गोल्ड मेडल जीतने का है। इसके लिए उन्होंने राजस्थान सरकार और केंद्र सरकार से सहयोग की अपील की है ताकि उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व करने का अवसर मिले।
पीएम मोदी से मिलना चाहती हैं गोल्डन दादी
उन्होंने इच्छा जताई कि वह भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलना चाहती हैं और उनके साथ चाय पीना चाहती हैं। उन्होंने यह भी बताया कि अब तक सरकार की ओर से कोई सहयोग नहीं मिला है और वे चाहती हैं कि सरकार उनके इस प्रयास में मदद करे।
फिटनेस का राज – बाजरे की रोटी और राबड़ी
गोल्डन दादी की फिटनेस आज भी युवाओं के लिए प्रेरणा है। उन्होंने बताया कि रोजाना बाजरे की रोटी, राबड़ी और हरी सब्जियां खाने से वे इस उम्र में भी फिट बनी हुई हैं। उन्होंने फास्ट फूड और बाहरी खाने को स्वास्थ्य के लिए हानिकारक बताया और कहा कि घर का खाना और शारीरिक श्रम ही असली फिटनेस मंत्र है।
भामाशाह भी आगे आए मदद के लिए
गोल्डन दादी की उपलब्धियों को देखते हुए कई भामाशाह भी आगे आए हैं और उनके पोते जय किशन से संपर्क कर रहे हैं ताकि वे अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में भाग ले सकें।
बीकानेर में हुआ भव्य स्वागत
बेंगलुरु से लौटने के बाद बीकानेर में पानी देवी का भव्य स्वागत किया गया। उनके बेटे के आवास ब्यूरो हेड के.के. सिंह ने उनसे खास बातचीत कर उनकी गोल्ड मेडल जीतने की प्रेरणादायक यात्रा को जाना।
गोल्डन दादी की यह उपलब्धि न केवल बीकानेर बल्कि पूरे राजस्थान और भारत के लिए गर्व की बात है। अब सबकी नजरें इस बात पर हैं कि क्या सरकार उनका सपना पूरा करने में मदद करेगी और वे भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी गोल्ड मेडल जीत पाएंगी या नहीं।
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