
कुलदीप छंगाणी : जैसलमेर (पोकरण)
पोकरण में एसडीएम के रूप में कार्यरत रहे प्रभजोत सिंह गिल का कार्यकाल लगातार विवादों से घिरा रहा. 8 अप्रैल को उनका तबादला नागौर के मूंडवा तहसील में कर दिया गया, लेकिन इसके बाद सोशल मीडिया पर उनके द्वारा की गई एक पोस्ट और मुख्य सचिव को उनके द्वारा भेजे गए एक पूर्व के पत्र ने प्रशासनिक हलकों में हलचल मचा दी है. पत्र के वायरल होने के बाद RAS एसोसिएशन भी अब एसडीएम के साथ खड़ा हो गया है और चेतावनी भरे अंदाज़ में प्रतिक्रिया दी है कि अगर जैसलमेर जिला कलेक्टर के खिलाफ कार्यवाही नही की जायेगी तो वे हड़ताल पर चले जायेंगे .

प्रभजोत सिंह गिल का कार्यकाल जहां एक ओर जनहित में उठाए गए कड़े फैसलों के कारण सराहनीय माना जा रहा है, वहीं दूसरी ओर उनकी शैली और विवादास्पद फैसलों ने उन्हें लगातार विवादों में बनाए रखा. उनके तबादले और पत्र वायरल प्रकरण के बाद अब यह मामला सिर्फ एक अफसर के कार्यशैली तक सीमित नहीं रहा, बल्कि प्रशासनिक गरिमा और अधिकार क्षेत्र की बहस में बदल गया है.
पोकरण से गहरा जुड़ाव, गहरे विवाद
प्रभजोत सिंह गिल की पहली नियुक्ति नवंबर 2022 में कांग्रेस शासनकाल में पोकरण में हुई थी। लेकिन उनके प्रशासनिक रवैये को लेकर मतभेद उत्पन्न हुए और मात्र आठ महीनों में, जुलाई 2023 में उन्हें एपीओ कर दिया गया. 2024 में सत्ता परिवर्तन के बाद भाजपा सरकार ने उन्हें फरवरी में पुनः पोकरण में तैनात किया, और इस बार दो साल के कार्यकाल की उम्मीदें जताई गईं। लेकिन भारत-पाक तनावपूर्ण स्थितियों के बीच 8 मई को अचानक उनका स्थानांतरण कर दिया गया.
विवादों में रहने के मुख्य कारण
- कांग्रेस शासन में वोटर लिस्ट में धांधली के आरोप (जिसका आरोप खुद कांग्रेस ने लगाया).
- सोलर कंपनी के खिलाफ धरने पर बैठे लोगों को जेल भेजने की धमकी वाला वायरल वीडियो.
- मुख्य सचिव को लिखा गया पत्र, जो खुद ही मीडिया में वायरल हुआ.
- सोशल मीडिया पर, वायरल जिला कलेक्टर श्री गंगानगर का एक आदेश जिसमें उन पर नायब तहसीलदार के पद पर रहते हुए अधिकार क्षेत्र के बाहर जाकर राजस्व की जमीन में फेरबदल करने का आरोप लगा .
काम जिनकी सराहना हुई
- सरकारी जमीन पर कब्जा रोकना: पूर्व विधायक के भाई की कोशिशों को नाकाम करते हुए सख्त कार्रवाई.
- फर्जी पट्टा प्रकरण को उजागर करना: निष्पक्ष जांच और सोशल मीडिया पर खुलासा.
- सूदखोरों के खिलाफ कड़ा रुख: पीड़ितों की सुनवाई और कार्रवाई की पहल.
- पोकरण निजी बस स्टैंड विवाद : एक पुलिस अधिकारी से टकराव कर स्थिति को संभाला और आमजन के हितों का ध्यान रखा.
आरोप जो बने आलोचना का कारण
- छायन गांव में संस्कृत माध्यमिक विद्यालय का राजनीतिक दबाव के कारण सरकारी बालिका स्कूल में विलय और शिक्षक को जेल भेजने की धमकी देने का मामला .
- उच्च अधिकारियों की बैठकों में अनुपस्थिति और आदेशों की अवहेलना करना .
- जेल प्रहरी भर्ती में सतर्कता दल प्रभारी नियुक्त होने के बावजूद उपस्थित नहीं होना.
गोपनीयता के उल्लंघन का आरोप : प्रभजोत सिंह गिल ने मुख्य सचिव कार्मिक विभाग को जिला कलेक्टर प्रताप सिंह के खिलाफ शिकायती पत्र लिखा था जो उनके मूंडवा पहुंचने के बाद ही वायरल हो गया . अब कयास लगाए जा रहे है कि यह पत्र एसडीएम ने ही मीडिया में लीक किया है । पत्र का लीक होना और सोशल मीडिया पर उनकी फेसबुक पोस्ट को एसडीएम का विक्टिम कार्ड बताया जा रहा है .
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